Tuesday 1 August 2017

Islaam Ke Paanch Sutoon pilar

Abdullah Bin Umar Razi’Allahu Anhu Se Riwayat Hai Ke,Rasool’Allah Sallallahu Alaihay Wasallam Ne Farmaya Islaam Paanch  Sutoono Par Khada Kiya Gaya Hai,

(1). Ek Ye Ke Allah Hi Ki Ibadat Ki Jaye Aur Uske Siwa Tamaam Jhoote Maboodo Ka Inkaar Kiya Jaye,
(2). Namaaz Parhna,
(3). Zakaat Dena,
(4). Baitullah Ka Hajj Karna, Aur
(5). Ramzan Ke Roze Rakhna”.

    [ Sahih Muslim ]

Monday 31 July 2017

Qarzdar Ko Mohlat Do Ya Qarz Muaf Kardo

Mahfum-e-Hadees
Rasool-e-Kareem Sallallahu Alaihay Wasallam Farmate Hai Jis Shakhs Ko Ye Baat Pasand Ho Ke Allah Ta’ala Usse Qayamat Ke Din
Ghum Aur Ghutan Se Bachaye Tou Usey Chahiye Ke Tangdast Qarzdar Ko Mohlat De
Ya Qarz Ka Bojh Uske Upar Se Utar De Yaani Qarz Muaf Kar De.

Muslim Sharif

Saturday 20 May 2017

RASUL ALLAH KE Naam

ʿAbdullah b. ʿAbbas narrates that the Prophet (upon him blessings and peace) said, “I am Muhammad in the Quran, Ahmad in the Injīl, Aḥīd in the Torah; I am Aḥīd for I will distance my ummah from the fire of hell.”

—Ibn ʿAdī in al-Kāmil, Ibn ʿAsākir in Tārīkh al-Dimashq.

JUME KI FAZILAT

Huzoor sallah alhye wasallam Ki Juma Ki Sunnate:
=>Miswaak
=>Gusal
=>Achacha Libaas
=>Khushbu
=>Surmaa
=> Durood Sharif
=>Namaz Me
Surah-E-Kahaf Ki Tilaawat.

Farmane Mustafa Sallallahu Taala Alayhi W Sallam Hai Ki
JUMA Ke Din Mujh Par
DUROOD SHARIF Ki Kasrat Kiya Karo
Beshak Meri UMMAT Ka DUROOD
JUMA Ke Din Mujh Par
Pesh Kiya Jata Hai.
[ASSUNUL QUBRA:3]

Jo JUMA Ke Din Ya Raat Me SURAH-DUKH'KHAN Padhega
ALLAH Azzwajal JANNAT Me Uske Liye
1 Ek Ghar Banayega
[Almojamul Kabeer]

Jo Shakhs Susti Ki Wajah se 3 JUM'A Chhod Dega
ALLAH Ta'ala Us Ke DIL Par Mohar Laga Dega
(Abu Dawood Jild:1 Safa:393 Hadees:1052)

*Taalibe_Duaa*

Thursday 30 March 2017

Ummat Me Ikhtelaf

Abu Soban  Razi’Allahu anhu  se riwayat hai ke, Rasool’Allah Salallaho Alaihi Wasallam  ne Farmaya, Beshaq maine Apne Rab se Sawal kiya ke Aye mere Rab! Meri Ummat ko Qahatsaali se halaq na karna inpar koi Gairmuslim dushman musallat na ho jo inki markjiyat ko bilkul Nesto-Nabood Karde Allah Rbbul Izzat ne farmaya: “Aye Nabi (Salallaho Alaihi Wasallam) mere faislo me
koi Raddo-badal nahi ho sakta lekin Maine apaki ummat ke haq me ye dua kabool kar li hai, ke inhe Qahatsali se halaq nahi karunga, aur naa inpar koi Gairmuslim dushman ko musallat karunga jo inki jadey ukhad fenke jab tak ke Aapki Ummat khud aapas me Qatlo garat na kare aur ek dusre ko kaidi tak bana le

  Sahi Muslim , Kitab ul Fitan 2889

Friday 24 March 2017

Allah ke Waliyo ki kitni kisme hoti hai

The Shaykh, Sayyidina Shah Abul Hussain Ahmad-e-Nuri al Hussaini al Qadiri رضي الله  comments on the different statuses of the various Awliya -

''Each group has its own style and mode of worship. Therefore, each group is listed by a specific name. Some of the names of the different groups are as follows:

1. Suffiya

2. Mutasawwifa

3. Malamatiyya

4. Owessiya

5. Faqir

6. Qalandar

7. Abdal

8. AbTal

9. Say'yah

10. 20 Awliya

11. 10 Budalah

12. Awliya-e-'Areef

13. Afrad

14. 'Ara'isullah

15. Nuqaba

16. 'Umada

17. Aqtab

19. Qutb al Aqtab or The Ghawth

Though they defer in forms of 'Ibaadah and Dhikr, but they are all related to one objective, and they are all beaded into one rosary of perfection.''

Wednesday 22 March 2017

Bewi se milne ka Shar"ai tarika

बीबी से मिलने का शरीअत में तरीका पूरा जरूर पड़े ।।।।।

#आदाबे_सोहबत (जिमाअ) ताल्लुक़ात के बयान

मियां बीवी के ताल्लुक़ से कुछ ऐसे मसले मसायल हैं जिनका जानना उनको ज़रूरी है मगर वो नहीं जानते,क्यों,क्योंकि दीनी किताब हम पढ़ते नहीं और आलिम से पूछने में शर्म आती है मगर अजीब बात है कि मसला पूछने में तो हमें शर्म आती है मगर वही ग़ैरत उस वक़्त मर जाती है जब दूल्हा अपने दोस्तों को और दुल्हन अपनी सहेलियों को पूरी रात की कहानी सुनाते हैं,खैर ये msg सेव करके रखें और अपने दोस्तों और अज़ीज़ो में जिनकी शादियां हों उन्हें तोहफे के तौर पर ये msg सेंड करें

* हज़रत इमाम गज़ाली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जिमअ यानि सोहबत करना जन्नत की लज़्ज़तों में से एक लज़्ज़त है

📕 कीमियाये सआदत,सफह 496

* हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि इंसान को जिमअ की ऐसी ही ज़रूरत है जैसी गिज़ा की क्योंकि बीवी दिल की तहारत का सबब है

📕 अहयाउल उलूम,जिल्द 2,सफह 29

* हदीसे पाक में आता है कि जिस तरह हराम सोहबत पर गुनाह है उसी तरह जायज़ सोहबत पर नेकियां हैं

📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 324

* उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु तआला अंहा से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जब एक मर्द अपनी बीवी का हाथ पकड़ता है तो उसके नामये आमाल में एक नेकी लिख दी जाती है और जब उसके गले में हाथ डालता है तो दस नेकियां लिखी जाती है और जब उससे सोहबत करता है तो दुनिया और माफीहा से बेहतर हो जाता है और जब ग़ुस्ले जनाबत करता है तो पानी जिस जिस बाल पर गुज़रता है तो हर बाल के बदले एक नेकी लिखी जाती है और एक गुनाह कम होता जाता है और एक दर्जा बुलंद होता जाता है

📕 गुनियतुत तालेबीन,सफह 113

* हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से एक शख्स ने अर्ज़ किया कि मैंने जिस लड़की से शादी की है मुझे लगता है कि वो मुझे पसंद नहीं करेगी तो आप फरमाते हैं कि मुहब्बत खुदा की तरफ से होती है और नफरत शैतान की तरफ से तो ऐसा करो कि जब तुम पहली बार उसके पास जाओ तो दोनों वुज़ु करो और 2 रकात नमाज़ नफ्ल शुकराना इस तरह पढ़ो कि तुम इमाम हो और वो तुम्हारी इक़्तिदा करे तो इन शा अल्लाह तुम उसे मुहब्बत और वफा करने वाली पाओगे

📕 गुनियतुत तालेबीन,सफह 115

* नमाज़ के बाद शौहर अपनी दुल्हन की पेशानी के थोड़े से बाल नर्मी और मुहब्बत से पकड़कर ये दुआ पढ़े अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका मिन खैरेहा वखैरे मा जबलतहा अलैहे व आऊज़ोबेका मिन शर्रेहा मा जबलतहा अलैह तो नमाज़ और इस दुआ की बरकत से मियां बीवी के दरमियान मुहब्बत और उल्फत क़ायम होगी इन शा अल्लाह

📕 अबु दाऊद,सफह 293

* खास जिमा के वक़्त बात करना मकरूह है इससे बच्चे के तोतले होने का खतरा है उसी तरह उस वक़्त औरत की शर्मगाह की तरह नज़र करने से भी बचना चाहिये कि बच्चे का अंधा होने का अमकान है युंही बिल्कुल बरहना भी सोहबत ना करें वरना बच्चे के बे हया होने का अंदेशा है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 46

* हमबिस्तरी के वक़्त बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ना सुन्नत है मगर याद रहे कि सतर खोलने से पहले पढ़ें और सबसे बेहतर है कि जब कमरे में दाखिल हो तब ही बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर दायां क़दम अन्दर दाखिल करें अगर हमेशा ऐसा करता रहेगा तो शैतान कमरे से बाहर ही ठहर जाएगा वरना वो भी आपके साथ शरीक होगा

📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 410

* आलाहज़रत फरमाते हैं कि औरत के अंदर मर्द के मुकाबले 100 गुना ज़्यादा शहवत है मगर उस पर हया को मुसल्लत कर दिया गया है तो अगर मर्द जल्दी फारिग हो जाये तो फौरन अपनी बीवी से जुदा ना हो बल्कि कुछ देर ठहरे फिर अलग हो

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 183

* जिमअ के वक़्त किसी और का तसव्वुर करना भी ज़िना है और सख्त गुनाह और जिमअ के लिए कोई वक़्त मुकर्रर नहीं हां बस इतना ख्याल रहे कि नमाज़ ना फौत होने पाये क्योंकि बीवी से भी नमाज़ रोज़ा एहराम एतेकाफ हैज़ व निफास और नमाज़ के ऐसे वक़्त में सोहबत करना कि नमाज़ का वक़्त निकल जाये हराम है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 1,सफह 584

* मर्द का अपनी औरत की छाती को मुंह लगाना जायज़ है मगर इस तरह कि दूध हलक़ से नीचे ना उतरे ये हराम है लेकिन ऐसा हो भी गया तो तौबा करे मगर इससे निकाह पर कोई फर्क नहीं आता

📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 58
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द ,सफह 568

* मर्द व औरत को एक दूसरे का सतर देखना या छूना जायज़ है मगर हुक्म यही है कि मक़ामे मख़सूस की तरफ ना देखा जाये कि इससे निस्यान का मर्ज़ होता है और निगाह भी कमज़ोर हो जाती है

📕 रद्दुल मुख्तार,जिल्द 5,सफह 256

* मर्द नीचे हो और औरत ऊपर,ये तरीका हरगिज़ सही नहीं है इससे औरत के बांझ हो जाने का खतरा है

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 41

* फरागत के बाद मर्द व औरत को अलग अलग कपड़े से अपना सतर साफ करना चाहिए क्योंकि दोनों का एक ही कपड़ा इस्तेमाल करना नफरत और जुदायगी का सबब है

📕 कीमियाये सआदत,सफह  266

* एहतेलाम होने के बाद या दूसरी मर्तबा सोहबत करना चाहता है तब भी सतर धोकर वुज़ु कर लेना बेहतर है वरना होने वाले बच्चे को बीमारी का खतरा है

📕 क़ुवतुल क़ुलूब,जिल्द 2,सफह 489

* ज़्यादा बूढ़ी औरत से या खड़े होकर सोहबत करने से जिस्म बहुल जल्द कमज़ोर हो जाता है उसी तरह भरे पेट पर सोहबत करना भी सख्त नुकसान देह है

📕 बिस्तानुल आरेफीन,सफह 139

* जिमअ के बाद औरत को दाईं करवट पर लेटने का हुक्म दें कि अगर नुत्फा क़रार पा गया तो इन शा अल्लाह लड़का ही होगा

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 42

* जिमअ के फौरन बाद पानी पीना या नहाना सेहत के लिए नुकसान देह है हां सतर धो लेना और दोनों का पेशाब कर लेना सेहत के लिए फायदे मंद है

📕 बिस्तानुल आरेफीन,सफह 138

* तबीब कहते हैं कि हफ्ते में दो बार से ज़्यादा सोहबत करना हलाकत का बाईस है,शेर के बारे में आता है कि वो अपनी मादा से साल में एक मर्तबा ही जिमअ करता है और उसके बाद उस पर इतनी कमजोरी लाहिक़ हो जाती है अगले 48 घंटो तक वो चलने फिरने के काबिल भी नहीं रहता और 48 घंटो के बाद जब वो उठता है तब भी लड़खड़ाता है

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 41

* औरत से हैज़ की हालत में सोहबत करना जायज नहीं अगर चे शादी की पहली रात ही क्यों ना हो और अगर इसको जायज़ जाने जब तो काफिर हो जायेगा युंही उसके पीछे के मक़ाम में सोहबत करना भी सख्त हराम है

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 2,सफह 78

* मगर हैज़ की हालत में वो अछूत भी नहीं हो जाती जैसा कि बहुत जगह रिवाज है कि फातिहा वगैरह का खाना भी नहीं बनाने देते ये जिहालत है,बल्कि उसके साथ सोने में भी हर्ज नहीं जबकि शहवत का खतरा ना हो वरना अलग सोये

📕 फतावा मुस्तफविया,जिल्द 3,सफह 13

* क़यामत के दिन सबसे बदतर मर्द व औरत वो होंगे जो अपनी राज़ की बातें अपने दोस्तों को सुनाते हैं

📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 464

* औरत से जुदा रहने की मुद्दत 4 महीना है इससे ज़्यादा दूर रहना मना है

📕 तारीखुल खुलफा,सफह 97

* आलाहज़रत फरमाते हैं कि हमल ठहरने से रोकने के लिए दवा या कोई और तरीका इस्तेमाल करना या हमल ठहरने के बाद उसमें रूह फूकने की मुद्दत 120 दिन है तो अगर किसी उज़्रे शरई मसलन बच्चा अभी छोटा है और ये दूसरा बच्चा नहीं चाहता तो हमल साकित करना जायज़ है मगर रूह पड़ने के बाद हमल गिराना हराम और गोया क़त्ल है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 524

* अगर तोगरे में क़ुरान की आयत लिखी है तो जब तक उस पर कोई कपड़ा ना डाला जाए उस कमरे में सोहबत करना या बरहना होना बे अदबी है हां क़ुरान अगर जुज़दान में है तो हर्ज नहीं युंही किबला रु होना भी मना है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 522

* जो बच्चा समझदार हो उसके सामने सोहबत करना मकरूह है

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 14

* किसी की दो बीवियां हैं अगर चे उसका किसी से पर्दा नहीं मगर औरत का औरत से पर्दा है तो एक के सामने दूसरे से सोहबत करना जायज़ नहीं

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह २०७

याद रहे पहली रात खून आना कोई ज़ुरूरी नही है...जो जाहिल इस तरह की बात सोचते है वो कमिलमि है क्योंकि आज के दौर में जिस झिल्ली के फटने से वो खून ऑर्ट की शर्मगाह से आता है वो बचपन में खेल,कूद,साइकल चलाने हटता के और भी चीज़ों से फट सकती है...लिहाज़ा अक़्ल से काम लिया कीजिये....

दुआ में yad rakhe⭐

Monday 20 March 2017

Hazrat fatma razi allah anhu ki shan

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम ने इरशाद फ़रमाया

फ़ातिमा बदअतुम मिन्नी

फ़ातिमा मेरा हिस्सा है
फ़ातिमा मेरा टुकड़ा है
फ़ातिमा मेरी जान का हिस्सा है

हुज़ूर ने बदआ और बिदआ का लफ्ज़ इरशाद फ़रमाया

ये वो टुकड़ा या हिस्सा नही है जो हर बेटी अपने बाप का होती है

बल्कि फ़रमाया मेरी दो तिहाई जान फ़ातिमा में है

इसी तरह और एक मक़ाम पर हुज़ूर ने इरशाद फ़रमाया

" फ़ातिमता मुदग़तुन मिन्नी "

फ़ातिमा मेरा दिल है

मुदग़ा अरबी में दिल को कहते हैं

दिल ज़िन्दगी और रूह का मरकज़ होता है दिल मरकज़े रूह है यानि हुज़ुर ने फ़रमाया

" फ़ातिमा का वो ताल्लुक़ है मेरी जान के साथ
फ़ातिमा मेरी मरकज़े रूह है

मेरी रूह फ़ातिमा में है
इसलिए जब फ़ातिमा बोलतीं हैं तो मेरा कलाम और मेरी मारिफ़त बोलती है

मुदग़ा का दूसरा माने है
माँ के पेट में बच्चे के मुदग़ा में रूह डाली जाती है

हुज़ूर ने इरशाद फ़रमाया
"फ़ातिमा बदअतुम मिन्नी"
"फ़ातिमता मुदग़ातुम मिन्नी"

जिसका मतलब हुआ
फ़ातिमा मेरा वो टुकड़ा है जिसमे मेरी रूह है

मेरी रूह फ़ातिमा में है इसलिए वो चलती है तो उसका चलना मेरी तरह का है
वो बोलती है तो उसका बोलना मेरी तरह का है
वो जब कलाम करती है तो उसका शाऊर मारिफ़त मेरी तरह की है

वो देखने में और नाम में फ़ातिमा है पर वो बातिन में मुहम्मद ए मुस्तफ़ा की रूह है

(सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा असहाबेहि वा बारिक वा सल्लिम)

सभी लोगों से गुजारिश है मेरे इस पेज को जरूर LIKE कर लें,
जिससे आपको प्रतिदिन इस्लामिक मैसेज मिल सके..

Saturday 18 March 2017

Aalim kise Kehte hai Aur Aalim ka Martaba

*#सुनो......*
*#उलेमा को तो बहुत से अमालों का सवाब भी मिलेगा....* रात रात भर #इबादात करते हैँ कुछ...
कुछ ने अपनी ज़िन्दगी बच्चों को #कुरान पढाने में ही लगा दी..
पाँच वक्त #नमाज पढाने जाते हैँ ना बारिश देखते हैँ ना धूप...
#अक़ीका, #निकाह, #जनाज़ा,,, लोगों के मसले मसाएल से,, लोगों की परेशानी में उन्हे क़ुरआन की फलां आयात... फलां अमल बता कर,,, लोगों को दीन सिखा कर उलेमा ने बहुत कमा लिया है #आखिरत के लिये......
.
और जिन उलेमा ने कुछ गलत किया भी है तो उन्हे उसका #गुनाह भी हो सकता है... लेकिन क्या पता इतने सारे नेक अामाल देख कर वो बख्श दिये जाएं....
.
लेकिन तुम्हारा क्या....???????
ना #नमाज़ का पता...
ना #रोज़े का..
ना #अखलाक़...
ना #ताल्लुक़ात...
ना #क़ुरआन...
ना #मामलात...
.
किस चीज़ में हो तुम..???
खाली #फसाद करने में..??..
लोगों पर ऊंगलियां उठाने में..??
आलिम तो बड़ी बात हो गयी..
.
एक #हाफिज़ ए क़ुरआन की शान जानते हो..??
वो क़ुरआन की आयत पढता जाएगा ..
#अल्लाह फर्माएगा जाओ पढ़ते जाओ #जन्नत में आगे बढ़ते जाओ.....
.
हंसी तो उनपर मुझे खूब आती है जिनको खुद के चेहरे पर सुन्नत ए #रसूल (सल्लल्लाहुअलैहीवसल्लम) तो सजाने में शर्म आती है और निकले हैँ अम्बिया के वारिस पर ऊंगली उठाने...
.
कमज़र्फों की हद देखो.... ओलेमा पर जोक बनाते हैँ...... और उनसे ज़्यादा बेशर्म वो जो ऐसे जोक्स पर उनकी हौसलाफ़ज़ाइ करते हैँ......
✍✍

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Tuesday 14 March 2017

Bait Hona kise Kehte Hai

*****   बैयत    *****

आज बहुत सारे मुसलमान ये कहते हुये नज़र आते हैं कि हम तो पहले से ही मुसलमान हैं हमे मुरीद होने से क्या फ़ायदा
क्या वाक़ई बैयत होना कोई मायने नही रखता
और क्या वाक़ई मुरीद होने के कुछ फ़ायदे नहीं है

आइये क़ुरआन से पूछते हैं

1. वो जो तुम्हारी बैयत करते है वो तो अल्लाह ही से बैयत करते है उसके हाथों पर

📕 पारा 26,सूरह फ़तह,आयत 10

2. बेशक अल्लाह राज़ी हुआ ईमान वालों से जब वो उस पेड़ के नीचे तुम्हारी बैयत करते थे

📕 पारा 26,सूरह फ़तह,आयत 18

* मक़ामे हुदैबिया मे हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपने जांनिसार सहाबा से अपने हाथों पर सबसे बैयत ली यहां तक कि हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु वहां मौजूद नहीं थे तो हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपने एक हाथ को उस्मान का हाथ कहकर उनसे भी बैयत ली इस बैयत को बैयते रिज़वान के नाम से जाना जाता है अगर बैयत होना कोई चीज़ नहीं है तो क्युं हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने ऐसा किया सहाबा इकराम तो पहले से ही नबी सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम के नाम पर मर मिटने को तैयार थे फ़िर क्युं अपना हाथ उनके हाथ में दिया

ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तो पैदाइशी वली हैं बल्कि वलियों के भी वली हैं पीरो के भी पीर हैं फ़िर क्युं आप मुरीद हुये हज़रत शैख अबु सईद मख़ज़ूमी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से

अताये रसूल ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तो हिन्दल वली हैं फिर क्युं आप मुरीद हुए हज़रत ख़्वाजा उस्मान हारूनी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से

आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तो मुजद्दिदे आज़म हैं फ़िर क्युं आप मुरीद हुए हज़रत सय्यदना शाह आले रसूल मारहरवी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से
आइये जानते हैं क्युं,बैयत का लग़वी माना होते हैं बिक जाना,गोया कि आपने अपने आपको अल्लाह के किसी नेक बन्दे के हाथों बेच दिया अब आप पर खुद आपका भी इख्तियार ना रहा अब आपको खरीदार के हिसाब से अपनी ज़िन्दगी गुज़ारनी है जो वादा जो मुआहिदा आपने उसके हाथों में हाथ देकर किया है उसे हर हाल मे निभाना पड़ेगा

यक़ीन जानिये कि अगर आपने अपने आपको बिका हुआ समझ लिया तो आपका खरीदार कभी भी आपको फ़रामोश नही करेगा और हम जैसे बदकारों के लिये तो बैयत होना गोया निजात का ज़रिया है इस रिवायत को पढ़ लिजिये इंशा अल्लाह कुछ और समझाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी

3. हज़रत इमाम फ़खरुद्दीन राज़ी अलैहिररहमा का जब नज़अ का वक़्त आया तो इब्लीस पहुंचा और कहने लगा तुमने उम्र भर मुनाज़रो मुबाहसो मे गुज़़ारी क्या खुदा को भी पहचाना,आपने फ़रमाया बेशक खुदा एक है उसने कहा दलील दो,आपने दलील पेश फ़रमाई वह खबीस मुअल्लिमुल मलाकूत रह चुका है उसने वह दलील तोड़ दी आपने दूसरी दलील दी उसने वह भी तोड़ दी इस तरह आपने 360 दलीले क़ायम फ़ारमाई और उसने एक एक करके सब तोड़ दी अब आप सख्त परेशान हुए इमाम राज़ी के पीरो मुर्शिद हज़रत नजमुद्दीन कुबरा रजि़यल्लाहु तआला अन्हु कही दूर दराज़ मक़ाम पर वुज़ु फ़रमा रहे थे जब आपने अपने मुरीद का यह हाल देखा तो वही से फ़रमाया ऎ राज़ी दलीलो के चक्कर मे पड़ गया अरे कह दे कि मैने खुदा को बिना दलील के एक माना,इमाम राज़ी अलैहिररहमा ने यही कह दिया और आपकी रुह कब्ज़ हो गयी

📕 अलमलफ़ूज़,हिस्सा 4,सफ़ह 48

देखिये किस तरह एक मुर्शिदे हक़ ने अपने अपने मुरीद के ईमान की हिफ़ाज़त फ़रमाई,सोचिये जब इमाम राज़ी जैसे जलीकुल क़द्र इमाम को मुर्शिद की ज़रुरत थी तो हम और आप किस गिनती मे है लिहाज़ा मुरीद होना बहुत ही बेहतर है हां मगर पीर बा शरअ होना चहिये (इसकी तफ़सील आगे आती है) और जिसको कोई कामिल पीर ना मिले तो उसके लिये मुहक़्क़िक़े अहले माअ़रिफ़त आरिफ़ बिल्लाह हज़रत अहमद ज़रूक रहमतुल्लाह तआला अलैह फ़रमाते हैं कि

4. जिसको कोई कामिल पीर ना मिले तो वो कसरत से दुरूदे पाक पढ़े कि कल क़यामत मे उसका दुरूद ही उसका पीर बन जायेगा

📕 कुर्बे मुस्तफ़ा,सफ़ह 120

जब कामिल पीर ना मिले तो............

अब कामिल पीर किसको कहते हैं उसके अन्दर किन शर्तों का पाया जाना ज़रूरी है ये भी समझ लिजिये

पीर के अन्दर 4 शर्तें होनी चाहिये

! सुन्नी सहीयुल अक़ीदा हो यानि कि सुन्नियत पर सख्ती से क़ायम हो हर तरह की गुमराही व बद अमली से दूर रहे तमाम बद मज़हब फ़िर्कों से दूर रहे उनके साथ उठना बैठना,खाना पीना,सलाम कलाम,रिश्ता नाता,कुछ ना रखे ना उनके साथ नमाज़ पढ़े ना उनके पीछे नमाज़ पढ़े और ना उनकी जनाज़े की नमाज़ पढ़े

! आलिम हो यानि कि अक़ायद व गुस्ल तहारत नमाज़ रोज़ा व ज़रुरत के तमाम मसायल का पूरा इल्म रखता हो और अपनी ज़रुरत के तमाम मसायल किताब से निकाल सके बग़ैर किसी की मदद के

! फ़ासिक ना हो यानि कि हद्दे शरह तक दाढ़ी रखे पंज वक़्ता नमाज़ी हो और हर गुनाह मस्लन झूट,ग़ीबत,चुगली,फ़रेब,फ़हश कलामी,बद नज़री,सूद,रिश्वत का लेन देन,तस्वीर साज़ी,गाने बाजे तमाशो से,ना महरम से पर्दा,गर्ज़ की कोई भी खिलाफ़े शरअ काम ना करता हो

! उसका सिलसिला नबी तक मुत्तसिल हो यानि कि जिस सिलसिले मे ये मुरीद करता हो उसके पीर की खिलाफ़त उसके पास हो

जिसके अन्दर ये 4 शर्तें पाई जायेंगी वो पीरे कामिल है और अगर किसी के अन्दर 1 भी शर्ते ना पाई गई तो वो पीर नहीं बल्कि शैतान का मसखरा है

📕 सबा सनाबिल शरीफ़,सफ़ह 110

Auliya Allah dil ki bat jan lete hai

Shaykh Shihabuddin Suharwardi (Umar bin Muhammad) said, “ I was thinking to learn Ilm ul Kalam,but I was confused to study which book for it.Should i read Al irshad by Imam ul Harmain or Al Iqdam by Sharastani or the book of his(sharastani’s) Shaykh.In this confused state I went to Shaykh Abdul Qadir (rahmullah alhy ) with my uncle Abu Najeeb ( to seek guidance of shaykh abdul qadir in this matter,to study which book ). When we prayed beside shaykh Abdul Qadir, he turned to me (before I could ask him) and said , “ O Umar ! Is this going to be useful in grave ? Is this going to be useful in grave ?
( i,e the books and knowledge which you plan to study,is that important in grave ? ) Hence I changed my mind( i,e decided not to study ilm ul kalam )”. After narrating this incident

Shaykh Ibn Taymiyya writes : “
“ Shaykh Abdul Qadir was inspired ( got kashf ) and informed him ( i,e shaykh suharwardi) what was in his heart”.

[ Ibn Taymiyya, Al Istiqamah , Volume : 01 , Page : 87 ]

translation in roman

seikh umer sohrwardi jo sufi silsile ek seikh h jo shorawardi silse se jana jata h jaise qadri chisti naqsbndi

to ek din umar shorwardi rahmullah alhy ne socha mjhe elmul qalam pr kuch padhna chae pr wo thora confuz the ye buk padhe ya wo to fir wo apne uncle ky sath huzur gausul aazam rahmullah alhy ki bargh me pauche to dekha hazrt namz ada kr rehe h namz khtm hone ky bd gausul aazam frmate h umer sohrawardi rahmullah alhy se kya lgta h apko jo ap seikhna chte h wo apko qabr me kam aegi to hazrt umar shrwardi rehmullah alhy ne apna irada bdl deya padhne ka

gaur krne ki bat
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seikh hazrt sohrwardi huzur ki bargh me puchne ky liy pauche the pr hazrt ky swal se pehle he imamul auliya gausul aazam ne unke swal ka jwab de deya

ye auliya kramat ko ahle ilm me kasf kha jata h

sbse eham bat ye ky ye wakiya jinhone likha wo ahle hadith ky ledar imam schlor alim the jinki kitab likhi hue aj ahle hadith ke bare bare madrse me pdhaei jate h

agr gaeb serf allah he janta h dusre nhi jan skte ahle hadith hazrat ky yha ye allah ke elwa kise aur ky liy aqaide gaeb rkhna sherk h to ksf bhi ek gaeb ki kism hai quality h

to ibne temiya ne sherkiya wakieya kyu likha ??

to kya ibne temiya kafir ho gae ??

agr hue to unpr shryt ka hukum lgaaei ahle hadith aulema hazrt

wrna umat ko sherk bidat tana deker gumrh na krein

jo km apke aulema likhe to sunnat aur shryt bn jae

aur hm ahle sunnat wal jamat likhe to sherk bidat mushrek ho jae

ye kha ka insaf hai

zarur gaur krein in bato pr