Monday, 20 March 2017

Hazrat fatma razi allah anhu ki shan

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम ने इरशाद फ़रमाया

फ़ातिमा बदअतुम मिन्नी

फ़ातिमा मेरा हिस्सा है
फ़ातिमा मेरा टुकड़ा है
फ़ातिमा मेरी जान का हिस्सा है

हुज़ूर ने बदआ और बिदआ का लफ्ज़ इरशाद फ़रमाया

ये वो टुकड़ा या हिस्सा नही है जो हर बेटी अपने बाप का होती है

बल्कि फ़रमाया मेरी दो तिहाई जान फ़ातिमा में है

इसी तरह और एक मक़ाम पर हुज़ूर ने इरशाद फ़रमाया

" फ़ातिमता मुदग़तुन मिन्नी "

फ़ातिमा मेरा दिल है

मुदग़ा अरबी में दिल को कहते हैं

दिल ज़िन्दगी और रूह का मरकज़ होता है दिल मरकज़े रूह है यानि हुज़ुर ने फ़रमाया

" फ़ातिमा का वो ताल्लुक़ है मेरी जान के साथ
फ़ातिमा मेरी मरकज़े रूह है

मेरी रूह फ़ातिमा में है
इसलिए जब फ़ातिमा बोलतीं हैं तो मेरा कलाम और मेरी मारिफ़त बोलती है

मुदग़ा का दूसरा माने है
माँ के पेट में बच्चे के मुदग़ा में रूह डाली जाती है

हुज़ूर ने इरशाद फ़रमाया
"फ़ातिमा बदअतुम मिन्नी"
"फ़ातिमता मुदग़ातुम मिन्नी"

जिसका मतलब हुआ
फ़ातिमा मेरा वो टुकड़ा है जिसमे मेरी रूह है

मेरी रूह फ़ातिमा में है इसलिए वो चलती है तो उसका चलना मेरी तरह का है
वो बोलती है तो उसका बोलना मेरी तरह का है
वो जब कलाम करती है तो उसका शाऊर मारिफ़त मेरी तरह की है

वो देखने में और नाम में फ़ातिमा है पर वो बातिन में मुहम्मद ए मुस्तफ़ा की रूह है

(सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा असहाबेहि वा बारिक वा सल्लिम)

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